सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जहां देश में खरीफ फसल की बुवाई अगले वर्ष लगभग 335 लाख हेक्टेयर हुई थी वहीं इस साल केवल 310 लाख हेक्टेयर हुई है अनाज के दामों पर इसका कितना असर पड़ेगा आइए जानते हैं।
देश में कहीं बाढ़ है तो कहीं सूखा है जिसके चलते इस साल लगभग 43 लाख हेक्टेयर खरीफ फसल की बुवाई नहीं की गई। इस उदड़ की दालों की कीमतों में काफी इजाफा देखने को मिल रहा है। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में धान की रोपाई भी कम हो गई है। सरकार ने आंकड़ा लगाया है कि इस साल केवल 310 लाख हेक्टेयर खरीफ फसल की बुआई हो पाई है जो कि अगले साल की तुलना में 43 लाख हेक्टेयर कम है। अगले साल जहां देखा जाए तो खरीफ फसल की बुवाई 353 लाख हेक्टेयर खरीफ फसल की बुआई की गई थी। मिली जानकारी के अनुसार दाल के साथ साथ चावल की पैदावार में 210 लाख टन की कमी आ सकती हैं।
इस साल खरीफ फसल की बुवाई कम होने के कारण सरकार के लिए चिंता का विषय है क्योंकि वर्ष 2018 में पहली बार जब गेहूं और चावल का सेंट्रल पूल में स्टॉक 675 लाख टन है। यह 4 साल में सबसे कम था ऐसे में सरकारी खाद्य सुरक्षा योजना और दामों की स्थिरता लाने के लिए सरकार के पास एक बहुत बड़ी चुनौती है।
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इस साल खरीफ फसल की बुवाई कम होने से दाल के दामों पर काफी असर पड़ेगा। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 127 लाख हेक्टेयर में दालों की बुवाई हुई थी जो इस साल केवल 122 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई है। इससे दालों के दामों पर सीधा असर दिखेगा। वहीं अरहर की दाल के दाम में लगभग 15 दिन के अंदर ही उछाल देखने को मिला है जिसके चलते केंद्र सरकार ने राज्यों को दाल का स्टॉक चेक करने के लिए भी निर्देश दिए हैं। हालांकि दिल्ली के व्यापारियों का कहना है कि इसका प्रभाव सितंबर तक पता चलेगा।
दिल्ली के ग्रेट मर्चेंट एशियन के प्रमुख नरेश गुप्ता जी ने बताया कि फिलहाल दामों पर इतना असर नहीं है लेकिन सितंबर में दालो के दामों का पता चलेगा और दालों का उत्पादन कितना हुआ है और कितना नही हुआ है इसके बाद ही उसका अनुमान लगाया जा सकता है।
इस समय दुनिया भर में खाने पीने के सामान में लगातार दाम की बढ़ोतरी हो रही है इस साल मौसम में बदलाव के चलते गेहूं और चावल के उत्पादन पर भी असर पड़ेगा। इसको लेकर सरकार के लिए काफी चिंता का विषय बना हुआ है।
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