किसान भाई अपने लहसुन को फेंकने पर मजबूर हो रहे, जानें कारण

किसान भाई अपने लहसुन को फेंकने पर मजबूर हो रहे, जानें कारण

मध्यप्रदेश के एक किसान भाई लहसुन, प्याज और गेहूं की खेती करते हैं उन्होंने बताया कि उनके पास लगभग 3 बीघा जमीन है जिसमें उन्होंने लहसुन की खेती की थी और उन्होंने यह भी बताया कि 1 बीघा जमीन पर बीज लगाने और उसे मंडी ले जाने तक लगभग 20 हज़ार से 25 हज़ार रूपए लागत आती है यानी अगर 3 बीघा का देखा जाए तो लगभग 90,000 रुपये लागत आती है।

लहसुन की खेती से लागत खर्च भी नहीं निकल रहा

लहसुन की खेती करने के साथ – साथ किसानों को बीच-बीच में चार से पांच बार दवा का छिड़काव भी करना पड़ता है और हाथ से निराई गुड़ाई से लेकर ग्रेडिंग करवाने तक का काम होता है जिससे लागत और भी बढ़ जाती है।

किसान भाई ने बताया कि 90 कट्ठा यानी 50 किलो का एक बोरी उत्पादन हुआ लेकिन आज की डेट में एक कट्टा लहसुन 100 रुपए से 150 रुपए में बिक रहा हैं। जिससे उनका निराई गुड़ाई का भी खर्च नहीं निकल पा रहा।

किसान भाई ने बताया कि अगले साल 40 से 45 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन किया था पिछले 3 साल से उन्होंने बताएं उत्पादन में लगातार कमी होती जा रही है और दाम भी कम होते जा रहे हैं जबकि उत्पादन कम होने पर दाम अधिक मिलना चाहिए।

इसके अलावा कोई और दूसरा विकल्प नहीं

किसान भाई ने बताया कि 5 साल पहले उन्होंने जब अपना लहसुन मंडी में बेचा था तो उस समय मध्यप्रदेश में भावांतर योजना चल रही थी उन्होंने बताया कि उस साल का उपज का भावांतर मूल्य उनके खाते में अभी तक नहीं पहुंचा।

किसान भाई ने कहा कि हर साल घाटा होता है लेकिन मन में यही सवाल होता है कि खेती करें या ना करें लेकिन किसान के पास और कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है।

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लहसुन फेंकने का विडियो भी वायरल हो रहा

आज का समय सोशल मीडिया का है इस समय मध्य प्रदेश में एक वीडियो वायरल हो रहा है वीडियो में किसान भाई ने अपनी लहसुन की फसल नदी में बहते हुए दिख रही है। इसके पहले एक वीडियो सामने आया था जिसमें किसान भाई के द्वारा मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी मंडी मंदसौर मंडी में लहसुन का दाम न मिलने के कारण अपने लहसुन पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी गई थी। ऐसी घटनाएं पिछले कई महीनों से सामने आ रही हैं।

क्या अब किसान लहसुन और प्याज की खेती नही करेंगें?

किसान भाई लहसुन और प्याज का दाम सही ना मिलने के कारण, सिरोही जिले के एक किसान ने तो कसम खा ली कि वह अब लहसुन और प्याज की फसल नही लगायेंगे। इस साल उन्होंने 2 एकड़ जमीन पर प्याज और लहसुन की फसल उगाई। जिसमें उनकी लागत लगभग 40 हज़ार से 45 हज़ार रुपये प्रति एकड़ लागत आई।

लहसुन के बीज पर उन्होंने 7000 प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदा था और अब जब फसल निकल रही है तो उन्हें 400 रुपए से 500 रुपये प्रति कुंटल में बेचना पड़ रहा है। इससे बहुत ज्यादा घाटा हो गया है उन्होंने कहा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देगी कि नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है यदि ऐसे ही घाटा होता रहा तो हम अपने बच्चों का पेट कैसे भरेंगे।

मंदसौर जिले को ही लहसुन के लिए चुना गया

मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में मंदसौर, नीमच, शाजापुर, उज्जैन उज्जैन आदि जिलों में बहुत ही ज्यादा लहसुन का उत्पादन होता है। जिसके लिए प्रदेश में एक जिला एक उत्पाद योजना भी चलाई जा रही हैं। इसमें मंदसौर जिले को लहसुन के लिए चयनित किया गया है।

मंदसौर मंडी की सबसे प्रमुख फसल लहसुन है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने 2 महीने पहले जिले की समीक्षा की और बेहतरीन मार्केटिंग के लिए देश-विदेश में निर्यात करने का प्रयास किया और लहसुन को ब्रांड बनाने के लिए आधुनिक पद्धति से लहसुन को बढ़ावा देने का भी निर्देश दे चुके हैं।

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10 वर्षों में लहसुन का दोगुना उत्पादन हुआ

अगर पिछले 10 सालों के आंकड़े देखे जाए तो मध्य प्रदेश में लगभग 2 गुना लहसुन की पैदावार हुई है मध्य प्रदेश के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक वर्ष 2011-2012 में 94945 हेक्टेयर भूमि पर लहसुन की फसल की जा रही थी। जो की वर्ष 2020-2021 में बढ़कर 1,93,066 हो गई है।


अगर इस टाइम पीरियड को देखा जाए तो उत्पादन 11.50 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 19.83 लाख मीट्रिक टन हो गया। लहसुन उत्पादन तो इतना ज्यादा हो गया लेकिन मार्केटिंग की हालत खराब हो गई हैं।

मध्यप्रदेश में लहसुन का उत्पादन

सालक्षेत्र (हेक्टेयर)उत्पादन (लाख मीट्रिक टन)
2011 – 129494511.5
2012 – 139692311.51
2013 – 149866111.74
2014 – 1510380512.4
2015 – 1610588112.65
2016 – 1715688017.8
2017 – 1818617918.82
2018 – 1917815718.08
2019 – 2018371418.69
2020 – 2119306619.83

लहसुन गुणवत्ता में अंतर के साथ लहसुन भाव में भी अंतर

  • मध्यप्रदेश की मंदसौर मंडी में लहसुन के एक बड़े व्यापारी ने बताया कि इस साल लगभग 25 से 30 प्रतिशत फसल खराब हुई है क्योंकि लहसुन का दाना छोटा पड़ गया था जिसके कारण लहसुन भाव सही नहीं मिल पाया।

  • उन्होंने यह भी बताया कि आज के समय 100 रुपये कुंटल का भाव भी मिलता है और 11,000 रुपये का भी। गुणवत्ता में अंतर होने से अधिक प्रभाव पड़ता है।

  • उन्होंने बताया कि गुजरात में लहसुन का पाउडर बनाने के लिए हर साल बड़ी मांग रहती है। जो इस साल नहीं है क्योंकि उन्होंने पिछले वर्ष अधिक खरीदारी कर ली थी।

  • लहसुन में किसानों ने बड़ी लागत लगाकर उत्पादन किया था लेकिन उनका भाव नहीं मिलने के कारण उनका काफी नुकसान हुआ है यह बात किसानों को ही पता होगी हर 4 से 5 साल में एक बार ऐसा दौर आता है कि जब भाव गिर जाते हैं।

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