खरीफ फसल को बचाना मुश्किल हो रहा, बारिश के बाद अब कीटों का प्रकोप शुरू हुआ।

खरीफ फसल को बचाना मुश्किल हो रहा, बारिश के बाद अब कीटों का प्रकोप शुरू हुआ।

खरीफ सीजन में महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों के किसानों को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं। पहले तो बारिश ना होने के कारण किसानों ने खेत में पानी की व्यवस्था करके खेत की बुवाई की और इसके बाद फिर ज्यादा बारिश होने के कारण खेत में पानी जमा हो गया। जिससे उनकी फसल को काफी नुकसान हुआ और जो भी फसल बची थी उन फसल पर अब कीटों का भी बहुत तेजी से प्रकोप चल रहा हैं और खरपतवार में भी परेशानी बढ़ती जा रही हैं।

महाराष्ट्र में चल रही लगभग 10 दिनों से बारिश अभी बंद ही हुई थी। तो अभी बारिश ने बुलडाणा जिले मे खरीफ फसलों को राहत तो दे दी है लेकिन भारी बारिश के बाद अब जिलें के किसानों के सामने एक और बड़ी परेशानी आ गई है। अभी भी बूंदाबांदी के बादल छाए हुए हैं और फसलों पर लार्वा कीटों का प्रकोप बहुत तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। इसमें खरपतवार भी बहुत बढ़ गई हैं।

किसानों के पास स्प्रे करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं दिख रहा है क्योंकि अभी भी बारिश रुक रूक कर हो रही हैं। जिसके चलते कृषि कार्य पूरी तरह से बंद हो गया हैं। किसान उम्मीद लगा रहे थे काफी है संतोषजनक बारिश के साथ फसल में काफी अच्छी बढ़ोतरी दिखेगी। लेकिन किसानों के पास एक के बाद एक समस्या बढ़ती जा रही है। अब उन्हें फसलों पर दवाइयों का छिड़काव करने के लिए भी अधिक से अधिक पैसा खर्च करने की जरूरत पड़ेगी और यही हाल लगभग और अन्य जिलों का भी है।

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अभी इन फसलों को भारी नुकसान

बारिश के कारण सोयाबीन, उड़द और मूंग जैसी खरीफ फसलों में काफी ज्यादा खरपतवार निकल आए हैं। इसका असर सीधा सीधा पैदावार पर पड़ेगा। अधिकतर किसान हाथों और बैलों के सहारे खेती में काम करते हैं। लेकिन वर्तमान समय में बारिश के चलते खरपतवार का बढ़ना जारी है किसानों ने कीटनाशक का छिड़काव भी शुरू किया है और बारिश से किसानों को थोड़ी राहत मिली है। लेकिन जलवायु परिवर्तन का सीधा असर किसान भाइयों की फसलों पर पड़ा हैं। कीटों के बढ़ते हुए प्रकोप से उत्पादन में भारी कमी का अनुमान है इसलिए कीटनाशकों का छिड़काव काफी तेजी से चल रहा है जिससे किसानो पर आर्थिक बोझ और बढ़ गया है।

सोयाबीन फसल पर इस कीट का प्रकोप बढ़ा

बुलढाणा जिले में सोयाबीन फसल की एक प्रमुख फसल के रूप में पैदावार की जाती हैं। इसके अलावा यहां साल में दलहन की काफी अच्छी खेती की जाती है। लेकिन इस बार किसान सोयाबीन पर ज्यादा ध्यान दे रहे थे और इसी बीच सोयाबीन फसल पर कीटों का भी प्रकोप काफी तेजी से बढ़ रहा हैं। सोयाबीन की फसल में आर्मी वर्म कीट का प्रकोप काफी तेजी से बढ़ रहा है। जिससे उनकी सोयाबीन फसल का भविष्य काफी खराब दिखता हुआ नजर आ रहा हैं। इसीलिए किसान उस पर अधिक खर्च कर रहे हैं। जिससे सोयाबीन फसल को बचाया जा सकें और उत्पादन में बढ़ोतरी की जा सकें। किसानों की आय की दृष्टि से यह मौसम काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

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आखिर कीटों के प्रकोप को कैसे नियंत्रण करें

किसान भाइयों को कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी हैं कि फसलों पर छिड़काव से पहले फसलों का सर्वेक्षण करना जरूरी है। यदि प्रति मीटर पंक्ति में चार छोटे कीट लार्वा पाए जाते हैं। तो कीटनाशकों का प्रयोग किया जाना चाहिए। जिससे इसमें प्रोफेनोफोस 20 मिली या क्लोराट्रानिलिप्रोल 3 मिली या इंडोक्साकार्ब 29 6.6 मिली प्रति 10 लीटर पानी में मिलाकर नैसपैक पंप से छिड़काव करना चाहिए। इससे कीटों का प्रकोप काफी कम हो जाएगा और किसान भाई को कोशिश करनी चाहिए कि खरपतवार बढ़ने ना पाए उसको तुरंत काट दें।

आप सभी किसान भाइयों का कोई भी प्रश्न हो या आपकी कोई राय हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में ज़रूर लिखें और इस लेख को अधिक से अधिक किसान भाइयों तक शेयर ज़रूर करें, धन्यवाद।

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