आज के समय में खेती लगभग खाद के प्रयोग के ऊपर निर्भर हो गई है। जहां पर किसान भाई ज्यादा से ज्यादा खाद का प्रयोग कर देते हैं। अगर उन्हें सही तरीका नहीं मालूम तो आज हम बताने वाले हैं। आप खरीफ फसल में खाद का प्रयोग कैसे करें। जिससे आपको अच्छा उत्पादन मिले सके।
किसान भाइयों गोबर की खाद, कंपोस्ट एवं हरी खाद का प्रयोग प्राचीन काल के पहले से होता आ रहा हैं। जिसका प्रयोग खेती में काफी अच्छा देखने को मिलता है क्योंकि गोबर की खाद का प्रयोग करने से हमारे खेत के जो पोषक तत्व होते हैं। उनमें बढ़ोतरी होती है और पैदावार भी अच्छी देखने को मिलती है।
उत्तर बिहार में पिछले कुछ दिनों अधिक वर्षा के कारण खेतों में पानी जमा हो गया। जुलाई के अंतिम सप्ताह एवं अगस्त के शुरुआत में धान की रोपाई करने वाले किसानों को अच्छा फायदा भी मिला। जब देश में औद्योगिकीकरण नहीं हुआ था तब देश में जैविक खाद के प्रयोग से खेती होती थी। लेकिन जब से देश में हरित क्रांति की शुरुआत हुई उसके साथ उर्वरकों की मात्रा का प्रयोग बहुत तेज़ी से बढ़ गया।
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सबसे पहले नाइट्रोजन खाद का प्रयोग शुरू हुआ और धीरे- धीरे फॉस्फेटिक और पोटैशिक जैसी खादों का प्रचलन भी सामने आया। इसी कारण मिट्टी से प्राप्त किए जाने वाले अन्य पदार्थ जैसे मैग्नीशियम, सल्फर, जिंक, आयरन, कॉपर, मैग्नीशियम, बोरान, मालेब्डनम एवं क्लोरीन सहित पोषक तत्वों की कमी होती रहीं। और पौधे को आवश्यकता अनुसार यह पोषक तत्व नहीं मिला। जिसके कारण अधिकांश क्षेत्रों में उत्पादन में कमी हुई और और मिट्टी में भी इसकी कमी देखी गई।
विशेषज्ञों की राय के मुताबिक मृदा में भौतिकी रसायन और जैविक क्रियाओं का परिवर्तन हैं। जिसकी कमी महसूस की गई और मृदा उर्वरक का संतुलन किस प्रकार किया जाए की फसल की आवश्यकता के अनुसार ही पोषक तत्व मिलें।
समेकित पोषक तत्व प्रबंधन का मुख्य लक्ष्य क्या हैं?
फसल में अच्छी पैदावार हो और मृदा स्वास्थ्य सुरक्षित रहें। जिसके लिए विशेष एवं फसल विशेष को देखते हुए अकार्बनिक और कार्बनिक स्रोतों का उचित सम्मिश्रण की सोच के साथ खेती को बढ़ावा देने पर बल दिया गया। इस तकनीकी को संपोषित तत्व प्रबंध के नाम से जाना जाता है इसका उद्देश्य था कि जैविक खादों का एक सही तरीके से प्रयोग किया जाए। जिससे उत्पादकता को बढ़ाया जाए और पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सकें। जिससे किसानों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाया जा सकें। यही समेकित पोषक तत्व प्रबंधन का मुख्य लक्ष्य है।
गोबर की खाद, हरी खाद, कंपोस्ट खाद भारत में प्राचीन काल से चली आ रही हैं और इसके प्रयोग से काफी अच्छा उत्पादन देखने को मिलता हैं। इस में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ धीरे-धीरे पौधे को पोषक तत्व मिलते रहते हैं। जिससे पौधे अच्छा ग्रो करते हैं। रासायनिक उर्वरकों का ज्यादा प्रयोग करने के कारण फसल कुछ वर्षों तक स्थाई रहती है लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे घटने लगती है क्योंकि ज्यादा रासायनिक उर्वरक प्रयोग करने से मिट्टी में कई प्रकार की समस्याएं आ जाती हैं।
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रासायनिक उर्वरक का ज्यादा प्रयोग करने से मिट्टी में जीवाणुओं की सक्रियता कम हो जाती हैं। जिसका असर सीधा पोषक तत्व प्रबंधन पर पड़ता हैं। आखिर जानें सांकेतिक पोषक तत्व प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- पौधे को समय समय पर सही मात्रा में उर्वरक का उपलब्ध कराना
- कृषि के क्षेत्र में कार्बनिक खाद, हरी खाद, ऑर्गेनिक उर्वरकों को समुचित प्रयोग में किसान भाइयों के बीच लाना
- गन्ना, धान, गेहूं और मक्का जैसे अवशेषों को कार्बनिक पदार्थ के रूप में खेत में उपयोग करके उनके अवशेषों को पुनः उसी खेत में छोड़ देना चाहिए। जिससे अगली फसल के लिए यह कंपोस्ट खाद का कार्य करें
समेकित पोषक तत्व प्रबंधन के प्रमुख घटक
समेकित पोषक तत्व प्रबंधन के मुख्य घटक हरी खाद, वर्मी कंपोस्ट, जैविक उर्वरक तथा रासायनिक जिसमें जैविक खाद की पूर्ण भूमिका रहती है।
कार्बनिक खाद का प्रयोग कैसे करें
कार्बनिक खाद में गोबर की खाद, कंपोस्ट खाद, हरी खाद और कई प्रकार की खाद मृदा को लगभग अच्छा पोषक तत्व उपलब्ध कराने में सहायता प्रदान करती हैं। इसमें कार्बनिक पदार्थ की मात्रा से मिट्टी में मिलता है जिसके कारण पौधे को अच्छा पोषक तत्व मिलता हैं। जिसके कारण मिट्टी की भौतिक एवं रासायनिक अवस्था भी ठीक रहती हैं। साथ ही साथ मिट्टी की गुणवत्ता पहले से बेहतर होती जाती हैं।
एक पौधे की सामान्य वृद्धि एवं विकास की बात की जाएं तो लगभग 17 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती हैं। अगर किसी भी पोषक तत्व की कमी होती है तो पौधे पहले उस तत्व की कमी को दर्शाते हैं। कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पौधे हवा और पानी से लेते हैं। नाइट्रोजन और फास्फोरस को पौधे मिट्टी से अधिक मात्रा में प्राप्त करते हैं। इसके लिए इसको मुख्य पोषक तत्व भी कहते हैं। कैल्शियम, मैग्नीशियम और गंधक को पौधे ज्यादातर मिट्टी से ही प्राप्त करते हैं। इसलिए इन्हें गौण पोषक तत्व भी कहते हैं। लोहा, जस्ता, मैग्नीशियम, तांबा, बोरान, निकील, मोलिब्डनम और क्लोरीन तत्वों के पौधों में काफी कम मात्रा में आवश्यकता पड़ती हैं। इसलिए इसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी कहते हैं।
तो आज हमनें बात की खरीफ फसल में बंपर उत्पादन के लिए खाद का सही तरीके से प्रयोग कैसे करें। किसान भाइयों नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करके ज़रूर बताएं ये आर्टिकल आपको कैसा लगा और सभी किसान भाइयों तक इस महत्वपूर्ण जानकारी को शेयर जरूर करें, धन्यवाद।
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