किसान भाइयों के लिए एक अच्छी और बड़ी ख़बर आ गई। पिछले 3 वर्षों से खरीफ फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लगातार बढ़ रही हैं। जिससे किसान भाइयों को काफी फायदा भी हुआ हैं। केंद्र सरकार की कैबिनेट मीटिंग में इन खरीफ की 14 फसलों सहित 17 वैरायटियों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंजूरी मिल गई हैं। आईए जानते हैं कि किस फसल का कितना न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ और कितनी बढ़ोतरी पिछले वर्ष के मुकाबले हुई।
इस वर्ष फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बजट क्या है?
किसान भाईयो इस वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का बजट 1 लाख 26 हजार हो गया हैं। अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ने की बात की जाये तो तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 523 रुपये, तुअर और उड़द का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 300 रुपये बढ़ाई गई हैं। जबकि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पिछले वर्ष 1940 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर अब 2040 रुपये प्रति क्विंटल हो गया हैं। मतलब की धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में 100 रुपये तक की बढ़ोतरी रही। बाकी सभी खरीफ फसलों के ताज़ा न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देखने के लिए नीचे दिये गये लिस्ट को देखे।
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⬇️ वर्ष 2022-2023 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ⬇️
फसल | 2021-22 (रु. में) न्यूनतम समर्थन मूल्य | 2022-23 (रु. में) न्यूनतम समर्थन मूल्य | न्यूनतम समर्थन मूल्य कितना बढ़ा (रु. में) |
धान (सामान्य) | 1940 | 2040 | 100 |
धान (A ग्रेड) | 1960 | 2060 | 100 |
ज्वार (हाईब्रिड) | 2738 | 2970 | 232 |
ज्वार (मालदंडी) | 2758 | 2990 | 232 |
बाजरा | 2250 | 2350 | 100 |
रागी | 3377 | 3578 | 201 |
मक्का | 1870 | 1962 | 92 |
तुअर | 6300 | 6600 | 300 |
मूंग | 7275 | 7755 | 480 |
उड़द | 6300 | 6300 | 300 |
मूंगफली | 5550 | 5850 | 300 |
सूरजमुखी | 6015 | 6400 | 385 |
सोयाबीन | 3950 | 4300 | 350 |
तिल | 7307 | 7830 | 523 |
रामतिल | 6930 | 7287 | 357 |
कपास (मिडिल स्टेपल) | 5726 | 6080 | 354 |
कपास (लॉन्ग स्टेपल) | 6025 | 6379 | 354 |
बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) कितना बढ़ाया गया?
किसान भाइयों अगर बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को देखा जाएं। तो 2250 रुपए प्रति क्विंटल पहले था जिसे बढ़ाकर अब 2350 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया हैं और वहीं अगर सोयाबीन की बात किया जाए तो उसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 3950 रुपये से बढ़ा कर 4300 रुपये कर दिया गया हैं।
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आख़िर खरीफ की फसलें कब बोई जाती हैं?
हमारे प्यारे भारत देश में तीन प्रकार की फसलें बोई जाती हैं। पहल रवि की फसल, दूसरी खरीफ की फसल और एक जायद की फसल। खरीफ की फसलें जून महीने और जुलाई महीने में बोई जाती हैं और सितंबर महीने से अक्टूबर महीने के बीच में काट ली जाती हैं। इस प्रकार की फसलों को खरीफ की फसलें कहा जाता हैं जैसे- कि धान, मक्का, बाजरा, ज्वार, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन, उड़द, कपास, तुअर जूट आदि।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) क्या है?
किसान भाइयों न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह मूल्य होता हैं। जब सरकार एक भाव को फिक्स कर देती हैं और किसान भाइयों की फसल उसी भाव पर खरीदी जाती हैं। फिर चाहें उस फसल का भाव मंडियों में कम हो या फिर ज़्यादा। क्योंकि सरकार ने जो भाव फिक्स किया हैं। वह उसी भाव पर खरीदेगी। भाव को फिक्स करने का कारण यह हैं कि फसल का भाव का हमेशा बाजार में ऊपर नीचे रहता हैं। जिससे किसान भाइयों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। इसीलिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करती हैं जिससे किसान भाइयों के ऊपर कोई भी प्रभाव ना पड़े।
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आख़िर सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय क्यों करती हैं जानें?
केंद्र सरकार द्वारा हर वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय किया जाता हैं। हर फसल जैसें रवि की खरीद हो या फिर खरीफ की खरीद हों। क्योंकि अगर किसी भी फसल की पैदावार बहुत ज़्यादा मात्रा में हो गई हैं। तो बाजार में उसका भाव कम हो जाएगा। इसलिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय कर देती हैं। जिससे कि किसान भाइयों के ऊपर कोई प्रभाव ना पड़ें। फिर चाहें फसल की पैदावार कम हो या फिर ज़्यादा।
तो किसान भाईयों आज हमनें बात की, अब केंद्र सरकार द्वारा खरीफ की फसल पर भाव बढ़ने को लेकर आई बड़ी खबर पर विस्तार से चर्चा की। आप सभी किसान भाइयों को ये लेख अच्छा लगा हों। तो इस लेख को शेयर जरूर करें और कोई भी प्रश्न हो तो नीचे कमेंट बाॅक्स में अवश्य पूछें। आपको ये लेख कैसा लगा। अपने विचार हमारे साथ ज़रूर साझा करें, धन्यवाद।
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