(IIT Mandi) आईआईटी मंडी ने महिलाओं के साथ मिलकर बनाए मास्क

(IIT Mandi) आईआईटी मंडी ने महिलाओं के साथ मिलकर बनाए मास्क

आईआईटी मंडी (IIT Mandi) ने गांव की महिलाओं के साथ मिलकर बनाए ऐसे मास्क

हिमाचल की महिलाओं के साथ आईआईटी (IIT Mandi) मंडी ने मिलकर सूती मास्क बनाने का निर्णय लिया है। हिमाचल मे गांव की महिलाओं के साथ इंडियन इंसटीटूट ऑफ टेकनोलॉजी (IIT Mandi) मंडी की एनेललिंग वूमेन ऑफ कमांड सोसाइटी (EWOK)  मे महामारी कोरोना से लड़ने के लिए साझेदारी एक है।

मैत्री मुखौटा अभियान की शुरुआत कैसे हुई जानें!

इन छोटी मास्क को एक बार उपयोग करके उसके बाद फिर से उसे धोकर उपयोग किया जा सकता है। हिमाचल की गांव की महिलाओं के साथ आईआईटी मंडी (IIT Mandi) की महिलाओं को सक्षम करने वाली केंद्र सोसाइटी (EWOK) में साझेदारी इसलिए की है ताकि महामारी Corona के दौरान एक बार उपयोग करने के बाद उसे धो कर फिर से उपयोग करने वाले सूती मास्क जल्द से जल्द तैयार हो सके । इस खास पहल को नाम ‘मैत्री मुखौटा अभियान’ दिया गया है।

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ये खास पहल लगभग 15 गांवों तक फैल चुकी है

इस महत्वपूर्ण खास पहल के तहत महिलाओं अपने स्थानीय लोग, अपने परिवार और अपने आपको Corona वायरस से बचाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इस खास पहल संस्थान के अनुसार गांव से शुरू की गई थी, लेकिन अब यह खास पहल लगभग 15 गांवों तक फैल चुकी है। अधिकारिक बयान में संस्थान द्वारा कहा गया है कि 500 से संख्या में सूती मास्क  उन कंपनियों को दिए गए है। जिन कंपनियों में प्रवासी मजदूर काम कर रहे है। बात करे वर्तमान मे  लगभग  सौ 200 मास्क का उत्पादन हो रहा है।

मास्क की संख्या बढ़कर लगभग 500 से 600 कर दी जाएगी

(IIT Mandi) आईआईटी मंडी ने महिलाओं के साथ मिलकर बनाए मास्क
(IIT Mandi) आईआईटी मंडी ने महिलाओं के साथ मिलकर बनाए मास्क

अगर आदेश अधिक मिलेंगे तो मास्क उत्पादन की संख्या बढ़कर लगभग 500 से 600 कर दी जाएगी। 2800-3500 अपेक्षित संख्या है। लाभार्थियों की ओनेदेशिप अभियान के तहत। आईआईटी मंडी (IIT Mandi) के मुख्य सलाहकार डॉ  प्रिंसीला गोसाल्विस इस खास पहल के बारे में कहा है कि हमारे स्वास्थ्य की सुरक्षा करने के लिए जो कदम स्थानीय समुदाय ने उठाए हैं, उन्हें देखने के बाद काफी खुशी हो रही है और काफी अच्छा महसूस हो रहा है।

अपने पहले दिन की सैलरी से मास्क बनाने में सहयोग

जब शंकराचार्य जी को सामग्री ढूंढने में कठिनाई हुई तो वहां के एक स्थानीय निवासी जिनका नाम चिराग वैध है। उन्होंने फ्री में डेढ़ सौ मास्क बनाने के लिए कपड़ों की आपूर्ति पेश करने की ठानी। अपने पहले दिन की सैलरी से मास्क बनाने पर वहाँ की स्थानीय महिलाओं ने भी सहमति जताई।

दो और तीन परत संस्करणों में मांस को उपलब्ध किया गया है। इन मास्क का जो परीक्षण है वह आईआईटी मंडी के मुलतीस कैलेफेब्रिकेशन एंड नैनो टेक्नोलॉजी लैब में हुआ है। मास्क में 50% से अधिक दक्षता देता है कि वह धूल और बूंदों को पकड़ सके।

आईआईटी के अनुसार इंडियन एक्सप्रेस की एक ख़बर के अनुसार यह कहा गया है कि एक IAET अधिकारी के अनुसार रोजाना यहां की महिलाएं लगभग 200 मास्क  बनाती है। लेकिन मास्क की मांग लगभग 500-600 रोजाना की है। बात करें वही आईआईटी मंडी (IIT Mandi) की तो आईआईटी मंडी के द्वारा कहा गया है कि रोजाना हम महिलाओं से उम्मीद लगभग 2800-3500 मास्क बनाने की करते है।

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