01 किलो प्याज का भाव अब 01 टाॅफी के बराबर आ गया, जानें पूरा मामला

01 किलो प्याज का भाव अब 01 टाॅफी के बराबर आ गया, जानें पूरा मामला

अभी देश में प्याज का भाव कम हो रहा हैं। जिससे हमारे प्याज किसान भाइयों को अधिक नुकसान हो रहा हैं और साथ ही किसान भाइयों को बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। अब प्याज स्टोरेज करने वाले किसान भाइयों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि लगभग 30 प्रतिशत प्याज भी खराब होती दिख रही हैं और मंडियों में अब किसान भाइयों से 1 रुपये से भी कम दाम में प्याज खरीदा जा रहा हैं। प्याज को एमएसपी (MSP) के दायरे में लाने की मांग की जा रही हैं।

किसान भाइयों की आय डबल करने के लिए लगभग पिछले 3 महीने से किसान भाइयों को 50 पैसे से लेकर 10 रुपये के बीच में प्याज बेचने को मजबूर किया जा रहा हैं। आज भी कई मंडियों में 1 रुपये से कम के रेट पर प्याज बेचा गया हैं। मतलब अब किसानों को 1 किलो प्याज का दाम एक टॉफी के बराबर दिया जा रहा हैं। अब वहीं प्याज बिचौलियों और व्यापारियों के हाथ से होता हुआ आम जनता के पास पहुंच रहा है। जिसकी कीमत 35 रुपए से 40 रुपए हो जाती हैं। आख़िर ऐसा क्यों?

किसान भाइयों ने सरकार से यह प्रश्न पूछा है कि इन बिचौलियों या व्यापारियों पर क्यों कोई कार्रवाई नहीं की जा रहीं, क्यों कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा या तो प्याज को (MSP) एमएसपी के दायरे में लाया जाए या तो व्यापारियों और बिचौलियों के ऊपर सख्त कार्रवाई की जाएं। महाराष्ट्र राज्य कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष श्री भारत दिघोले जी का कहना है कि सत्ता में बैठे लोगो को नहीं पता की किसान भाई किस संकट के दौर से गुजर रहे हैं।

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इस समय किसान भाइयों पर दोहरा संकट

महाराष्ट्र राज्य कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष श्री भारत दिघोले जी ने बताया हैं कि रबी सीजन का ज्यादातर प्याज स्टोर करके रखा जाता हैं। आमतौर पर 2 महीने में गर्मी का मौसम देखने को मिलता हैं। लेकिन इस वर्ष अप्रैल, मई और जून तीनों महीनो मे भयंकर गर्मी पड़ी और जून में भी बारिश नहीं हुई जिसके कारण प्याज पूरी तरह से तप गया हैं। अब जुलाई में अचानक बारिश के करण प्याज में सड़न बहुत तेजी से बढ़ रही है।

जिन किसान भाइयों ने प्याज को स्टॉक किया हैं, उसमें लगभग 30 प्रतिशत प्याज खराब हो चुका और ऊपर से प्याज का भाव भी कम होता जा रहा है। करीब 18 रुपये प्रति किलो की प्याज लागत किसान भाइयों को आई हैं और उन्हेंने 75 पैसे, 25 पैसे से लेकर 10 रुपये तक के बीच में प्याज बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा हैं। आज़दी के 75 वर्षों के बाद भी प्याज को लेकर सरकार ने अभी तक कोई सही योजना नहीं बनाई, इसीलिए सरकार को प्याज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करना चाहिए।

अभी प्याज का भाव किस मंडी में कितना देखें

  • सोलापुर के मंगलवेधा मंडी में 22 जुलाई 2022 को केवल 139 क्विंटल प्याज आया लेकिन फिर भी न्यूनतम दाम ₹100 प्रति क्विंटल रहा।
  • वहीं सोलापुर मंडी की बात किया जाए, तो 22 जुलाई को ही प्याज का न्यूनतम दाम 100 रुपये जबकि औसत 1000 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
  • अमरावती मंडी में मात्र 410 कुंटल प्याज आया और यहां न्यूनतम दाम 100, अधिकतम 1000 रुपए और औसत दाम 550 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
  • नासिक जिलें की कलवन मंडी की बात किया जाए तो किसानों को प्याज का न्यूनतम दाम 150 रुपये प्रति क्विंटल मिला।
  • जलगांव से चालीसगांव मंडी में किसानों को न्यूनतम भाव सिर्फ 210 रुपए ही मिला और औसत दाम 850 रुपये क्विंटल रहा।
  • इसी तरह 21 जुलाई को सोलापुर मंडी में प्याज का दाम न्यूनतम 100 रुपए किलो मिला और यहां अधिकतम दाम 960 रुपए, जबकि औसत रेट 700 रुपये रहा।
  • औरंगाबाद मंडी में प्याज का भाव न्यूनतम 125 रुपये और औसत भाव 738 रुपये प्रति क्विंटल रहा।

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अगर प्याज सस्ता चाहिए तो ये करना होगा

महाराष्ट्र राज्य कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष श्री भारत दिघोले जी का कहना हैं कि केंद्र सरकार का ध्यान सिर्फ प्याज को सस्ता करने पर है श। अगर केंद्र सरकार को सस्ता प्याज चाहिए तो वह खाद, पानी, बिजली, डीजल, पेस्टिसाइड, मालवाड़ा को भी सस्ता करें। किसान भाइयों को जब प्याज का भाव 20 से 25 रुपये किलो मिलने लगता हैं। तब आम जनता तक पहुंचते-पहुंचते उसका दाम 60 से 70 रुपये हो जाता हैं। ऐसा होने पर सरकार को दिक्कत होनी शुरू हो जाती हैं और दूसरे देश से प्याज मंगाना भी शुरू कर देती हैं।

अगर किसान भाइयों से सस्ता प्याज खरीदकर आम जनता को मंहगा बेचने वाले व्यापारियों और बिचौलियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है और केंद्र सरकार कह रही है कि वर्ष 2021-2022 के दौरान 3,17,03,000 मिट्रिक टन प्याज पैदावार हुई हैं। जो कि पिछले वर्ष से 50,62,000 मीट्रिक टन अधिक हैं। जिसके कारण प्याज भाव और कम हो जाते हैं। यह आंकड़ा पता नहीं सरकार किस प्रकार से तैयार करती हैं।

आज पूरे देश में महाराष्ट्र सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य हैं। यहां लगभग 40 प्रतिशत से 45 प्रतिशत प्याज की पैदावार होती हैं। लगभग 15 लाख किसान भाई प्याज की खेती से जुड़े हैं।

तो आज हमनें बात की, प्याज का भाव कैसे बढ़ सकता हैं और अभी किसान भाइयों को कितना नुकसान हो रहा हैं। तो आप सभी किसान भाइयों को ये लेख अच्छा लगा हों। तो इस लेख को शेयर ज़रूर करें। आप सभी किसान भाई अपने विचार नीचे कमेंट बॉक्स में हमारे साथ ज़रूर साझा करें, धन्यवाद।

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