देश में पेट्रोल और डीजल के दाम अगर अचानक 20 रुपए घट जाए तो कैसा रहेगा। जी हां 96 रुपयो में मिलने वाला पेट्रोल अगर 76 रुपये में मिलने लगे तो कैसा रहेगा। जी हां अब ऐसा ही कुछ होने वाला हैं पेट्रोल और डीजल को अगर सरकार जीएसटी के दायरे में लाती हैं। तो कुछ ऐसा ही आपको देखने को मिलेगा। 28 जून 2022 को चंडीगढ़ में शुरू हो रहें जीएसटी काउंसलिंग पर चर्चा होने वाली हैं। अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया गया तो इनके दाम 20 रुपये कम होने की संभावना हैं।
क्या जीएसटी काउंसिल बैठक में पेट्रोल और डीजल के दामों पर चर्चा होगी?
जीएसटी काउंसिल की बैठक में पेट्रोल और डीजल के दामों को लेकर चर्चा होगी या नहीं, क्योंकि देश की आम जनता इस समय पेट्रोल और डीजल के दामों को लेकर काफी परेशान चल रही हैं। अगर वहीं दिल्ली में देखा जाए तो पेट्रोल पर जनता इस समय 36.61 रुपये एक्साइज ड्यूटी और वैट भर रही हैं। अगर जीएसटी काउंसिल की बैठक में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंदर लाया जाता हैं। तो इनके दाम 16 रुपये घट सकते हैं। लेकिन कई सूत्रों से मिली जानकारी के हिसाब से बैठक में इस बार पेट्रोल-डीजल पर चर्चा होने की संभावना कम मानी जा रही हैं।
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जीएसटी को लेकर नीति निर्धारकों ने क्या बोला? जानें
- पीएम के आर्थिक सलाहकार चेयरमैन विवेक देवराय ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की संभावना जताई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता हैं। तो बढ़ती महंगाई पर भी लगाम लगाया जा सकता हैं।
- भाजपा सांसद सुशील मोदी कह चुके हैं कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी में लाने पर इससे राज्यों को सामूहिक रूप से 2 लाख करोड़ का वार्षिक नुकसान भी होगा।
- अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता हैं तो पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि इससे केंद्र सरकार को खुशी होगी, लेकिन राज्य सरकार ऐसा नहीं चाहती हैं।
केंद्र और राज्य पेट्रोल पर कितना-कितना टैक्स लेती हैं?
यह समझना बहुत ही ज़रूरी है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम का कितना-कितना हिस्सा लेती है। 28 जून 2022 को इंडियन ऑयल के पेट्रोल का दाम दिल्ली में 96.72 रुपये प्रति लीटर रहा। इसमें 19.90 रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी और 15.71 रुपये प्रति लीटर का वैट जोड़ा जाता हैं और साथ ही इसमें 3.78 रुपये प्रति लीटर डीलर कमीशन भी शामिल हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो सरकार हर वर्ष करीब 04 लाख से 05 लाख करोड़ रुपये पेट्रोल-डीजल से ही कमाती हैं।
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अगर सरकार को पेट्रोल-डीजल पर टैक्स ना मिले तब क्या होगा?
भारत में सालाना लगभग 10 हज़ार से 12 हज़ार करोड़ लीटर डीजल बिकता हैं और 03 हजार से 04 हजार करोड़ लीटर पेट्रोल बेचा जाता हैं। कुल मिलाकर 14 हज़ार से 15 हज़ार करोड़ लीटर डीजल और पेट्रोल बेचा जाता हैं। अगर सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाती हैं तो केंद्र सरकार और राज्य सरकार को 04 लाख से 05 लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा। इस की भरपाई सरकार कैसे करेगी?
सरकार इस नुकसान की भरपाई इस तरीके से कर सकती हैं
- पेट्रोल और डीजल पर जीएसटी लगाने से जो सरकार को घाटा हो रहा हैं उसके लिए सरकार लग्जरी कारों पर जीएसटी के अलावा और सरचार्ज भी वसूल सकती हैं। ऐसे में कीमतें अनुमान से अधिक होंगी।
- केंद्र सरकार और राज्य सरकार जीएसटी के बाद एक्साइज ड्यूटी भी लगा सकती हैं और उसमें आने वाली कमाई को केंद्र सरकार और राज्य सरकार बांट लें। इसके लिए दोनों सरकारों को इस फार्मूले पर सहमत होना पड़ेगा।
तो आज हमनें बात की अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल किया जाता हैं तो पेट्रोल-डीजल के दाम 20 रुपये तक कम हो जाएंगे। इस पर भी हमनें विस्तार से बात की। आप सभी किसान भाइयों को ये लेख अच्छा लगा। तो इस लेख को शेयर ज़रूर करें और आप सभी किसान भाइयों को ये लेख कैसा लगा। अपने विचार हमारे साथ ज़रूर साझा करें, धन्यवाद।
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