कपास की खेती करने वाले किसान भाइयों को राहत नहीं मिल रही हैं क्योंकि अबकी बार फिर कपास की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप देखने को मिल रहा हैं। पिछले वर्ष भी इसी समय कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी कीटों का हमला हुआ था और करीब 50% से 60 % कपास की फसल को नुकसान हो गया था। पंजाब में गुलाबी सुंडी के हमले का यह पहला मामला हैं। इससे पहले वर्ष 2015 में सफेद मक्खियों की वजह से कपास की बहुत ज़्यादा फसल बर्बाद हो गई थी।
किसान भाई अपनी कपास की फसल को नष्ट करने पर मजबूर
देश के पंजाब राज्य में किसान भाइयों को बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और इस समय गुलाबी सुंडी के प्रकोप से किसान भाईयों की कपास की फसल को बर्बाद होती हुई दिखाई दे रही हैं और किसान भाइयों को काफ़ी नुकसान हो रहा हैं। अभी कपास की बुवाई करे हुए केवल 1 महीने हुए हैं और लगभग पिछले वर्ष की स्थिति इस वर्ष भी बन चुकी है।
कपास की फसल पर कीटों का लगातार हमला होता जा रहा हैं। किसान भाइयों की दूसरी फसलों पर गुलाबी सुंडी कीटों का असर ना पड़े। इसके लिए किसान भाई अपने खेत में ट्रैक्टर चलाकर अपनी कपास की फसलों को नष्ट कर रहे हैं। हमारे किसान भाईयों का कहना हैं कि हमारे पास कोई और विकल्प नहीं है और इसके बाद हम धान की फसल की बुवाई कर सकते हैं, साथ ही बाजरा या अन्य फसलों की भी खेती कर सकते हैं क्योंकि अगर बाद में भी कपास की फसल पर कीटों का प्रकोप अधिक होता हैं तो हमारे पास कुछ और करने के लिए भी नहीं रह जाएगा।
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किस क्षेत्र में गुलाबी सुंडी का प्रकोप अधिक हैं?
पंजाब राज्य के मालवा क्षेत्र के मानसा और बटिंडा ज़िले में कपास की फसल में गुलाबी सुंडी का सबसे अधिक प्रकोप देखा गया हैं। मानसा जिलें के झेरियानवाली गांव में किसान भाई जगदीश सिंह जी ने 4 एकड़ में लगी अपनी कपास की फसल को नष्ट कर दिया हैं, उन्होंने प्रति एकड़ कपास की खेती के लिए खेत की बुवाई और दवाई पर लगभग 10,000 रुपये का खर्चा किया था और 8 एकड़ में उन्होंने कपास की खेती की हैं। 4 एकड़ में लगी कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी कीटों का प्रकोप अधिक हो गया हैं। इसी कारण उन्हें खेत से ही हटाना अच्छा उपाय था। जिससे हम उस खेत मे कोई अन्य फसल लगा सकें। इसी तरह जिले के कई और गांव भी हैं जहां दर्जनों किसान भाइयों ने अपनी कपास की फसल को नष्ट कर दिया हैं।
कृषि विभाग ने कहा यह बड़ी समस्या नहीं
भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के सचिव सिंगरा सिंह मान जी ने बताया कि बीज और दवाओं के छिड़काव पर भारी खर्च करने के बाद किसान भाई कीट हमले के कारण फसल को नष्ट कर रहे हैं। सरकार को इस मामले पर विचार करना चाहिए और उन्हें मुआवजा की व्यवस्था करनी चाहिए। पिछले वर्ष भी किसान भाइयों को नुकसान झेलना पड़ा था और इस बार भी कपास की फसल गुलाबी सुंडी रोग से प्रभावित हुई हैं। मानसा के मुख्य अधिकारी ने कहा कि इस वर्ष इतनी बड़ी समस्या नहीं हैं कि किसान भाई अपनी कपास की फसल को नष्ट कर दें ताकि कीटों के हमलें से बचा जाएं। किसान भाई बैचेन हो रहे हैं और अपनी कपास की फसल को नष्ट कर रहें हैं। गुलाबी सुड़ी के प्रकोप की जानकारी मिलने के बाद मैने कई गांवों का दौरा किया था लेकिन मुझे कोई खास समस्या नहीं दिखी।
तो आज हमनें बात की, कपास की फसल पर शुरू हुआ गुलाबी सुंडी का प्रकोप जिसके कारण हमारे किसान भाई अपनी कपास की खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाने को मजबूर हो गए हैं। आज इस ख़बर पर विस्तार बात की। आप सभी किसान भाइयों को ये लेख अच्छा लगा हों। तो इस लेख को शेयर ज़रूर करें और आप सभी किसान भाइयों को ये लेख कैसा लगा। अपने विचार हमारे साथ ज़रूर साझा करें, धन्यवाद।
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