इस तरीके से ग्रीष्मकालीन जुताई करें और फसलों को कीट-रोगों से ऐसे बचाकर अच्छी पैदावार पाएं।

इस तरीके से ग्रीष्मकालीन जुताई करें और फसलों को कीट-रोगों से ऐसे बचाकर अच्छी पैदावार पाएं।

नई पहल लगाने से पहले, खेत को तैयार करना बहुत महत्वपूर्ण होता हैं। किसान भाइयों के लिए खेत को तैयार करना एक बहुत ही मुश्किल कार्य भी हैं। जिसमें मेहनत भी अधिक लगती हैं। क्योंकि जितना अच्छा किसान भाई खेत को तैयार करते हैं। उतनी ही अच्छी फसल पैदावार भी होती हैं। अब देश में मानसून भी आ चुका हैं और कई राज्यों में प्री मानसून की बारिश शुरू भी हो चुकी हैं।

खरीफ फसलों को जुताई से क्या लाभ मिलता हैं जानें?

अभी खरीफ की फसलों की तैयारी किसान भाइयों ने शुरू कर दी हैं और बारिश भी अलग-अलग राज्यों में शुरू हो चुकी हैं। क्या हमें ग्रीष्मकालीन जुताई करनी चाहिए और किस प्रकार के खेत में हमें जुताई करनी चाहिए?

वैज्ञानिकों ने ग्रीष्मकालीन जुताई करने के लिए किसान भाइयों को सलाह दी हैं। कि जिस भी खेत में नमी हों, किसान भाई उसी खेत में जुताई करें और अभी जिस खेत में नमी ना हों, उस खेत में जुताई ना करें या फिर उस खेत में जुताई करने के लिए थोड़ा इंतजार करें ताकि वर्षा होने के बाद खेत की जुताई कर सकें।

कृषि विभाग के द्वारा किसान भाइयों को जुताई करने के कई प्रकार भी बताएं गए हैं। जिसमें पहला वह मिट्टी को पलटने वाले हल से कर सकते हैं, दूसरा देसी हल अथवा कल्टीवेटर से जुताई कर सकते हैं। मिट्टी पलटने का कार्य किसानों को कम से कम 3 साल में एक बार ज़रूर करना चाहिए। इससे खेत में पैदावार बढ़ जाती हैं।

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आख़िर खरीफ फसलों में लगने वाले रोग कौन-कौन से हैं?

खरीफ की फसल में अगर खेत को अच्छी तरह से तैयार नहीं किया गया हैं। तो उसमें काफी रोग लगने की संभावना बढ़ जाती हैं जिससे की पैदावार में काफी कमी देखने को भी मिलती हैं।

खरीफ फसल में लगने वाले कीड़े जैसे- धान की तना छेदक, कटुआ, सैनिक कीट, मूंग की फल भेदक, अरहर की फली भेदक आदि गर्मियों के मौसम में बहुत तेज़ी से लगने वाले रोग हैं। जो कि फसल को पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं।

गर्मियों में खेत की जुताई करने से फायदा होता हैं कि जो भी कीट ज़मीन मे होते हैं। वह खुद बाहर निकल जाते हैं और चिड़ियों के द्वारा उनको खा लिया जाता हैं जिससे कि खेत में कीटनाशक का प्रयोग कम करना पड़ता हैं।

खरीफ फसल के लिए मिट्टी को जुताने पर पैदावार बढ़ जाती है

गर्मी के सीजन में खेत की जुताई करने से वर्षा यानी जल को खेत में जल्दी सुखा पाती हैं और काफ़ी लाभदायक भी होता हैं। ग्रीष्मकालीन जुताई करने के बाद मिट्टी में पोषक तत्वों की भी बढ़ोतरी देखने को मिलती हैं। जिससे की फसल की पैदावार काफी अच्छी होती हैं।

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ग्रीष्मकालीन जुताई से और कौन-कौन से लाभ मिलते हैं जानें

ग्रीष्मकालीन जुताई करने से मिट्टी भुरभुरी हो जाती हैं और जब फसल को लगाया जाता हैं। तो उसकी जड़ को काफी अच्छी मजबूती भी मिलती हैं। जिससे कि पौधे की वृद्धि काफी अच्छे तरीके से होती हैं।

गर्मियों में खेत की जुताई करने से मिट्टी में जो कार्बन या अन्य पदार्थ होते हैं। वह जुताई करने के बाद हवा में संचार अच्छे से हो जाते हैं और सुक्ष्म जीवों की बढ़ेत्तरी होती हैं। जिससे की पैदावार भी बहुत अच्छी होती हैं।

तो किसान भाईयों आज हमनें बात की, किसान भाई ग्रीष्म कालीन में खेत की जुताई कैसे करें? इस पर विस्तार से चर्चा की गई। आप सभी किसान भाइयों को ये लेख अच्छा लगा हों। तो इस लेख को शेयर जरूर करें और कोई भी प्रश्न हो तो नीचे कमेंट बाॅक्स में अवश्य पूछें। आपको ये लेख कैसा लगा। अपने विचार हमारे साथ ज़रूर साझा करें, धन्यवाद।

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