देश के लगभग हर हिस्से में मानसून प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है और किसान भाई काफी खुश होते हुए दिखाई दे रहे हैं क्योंकि खरीफ फसल (Kharif Crop) की बुवाई भी काफी तेजी से हो रही है। बारिश के कारण महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश हुई। जहां पर किसान भाइयों ने खरीफ फसल की बुवाई को तेज़ी से करना शुरू कर दिया है।
जून और जुलाई महीने में बारिश ना होने से किसान काफी परेशान दिखाई दे रहे थे। लेकिन पिछले कुछ दिनों से शुरू हुई बरसात ने किसान भाइयों के अंदर जान डाल दी हैं और किसान भाई अपनी खरीफ फसल में निराई गुड़ाई में लग चुके हैं। महाराष्ट्र राज्य में ठाणे, रायगढ़, मुंबई, पालघर, रत्नागिरी, जैसे क्षेत्रों में बहुत अच्छी बारिश होने से किसान भाई काफी प्रसन्न हैं। मराठवाड़ा के हिंगोली परभणी और नांदेड़ सहित कई जिलों में भारी बारिश होने के कारण नदियां और नाले उफान पर है। जिस कारण कई जगहों पर बैकलॉग भी लगाया गया हैं। खरीफ सीजन में ज्यादातर बुवाई मानसून पर ही निर्भर होती है।
यवतमाल जिले में सोयाबीन व कपास की बुवाई का लक्ष्य
मानसून शुरू होते ही किसान भाइयों ने खेतों में खरीफ फसल की बुवाई काफी तेजी से की हैं इसमें बाजरा, ज्वार, मक्का, सोयाबीन और कपास जैसी प्रमुख फसलों की बुवाई की गई हैं। कृषि विभाग (Agriculture Department) के अनुसार 8 दिनों में भारी बारिश के चलते किसान भाइयों ने लगभग 4 दिन में 6 लाख हेक्टेयर से ज्यादा की बुवाई कर ली है। यवतमाल जिले में अब तक कुल 7 लाख 27000 हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई पूरी हो चुकी हैं। कृषि विभाग के अनुसार लेट बारिश के कारण अब तक जिले में लक्ष्य के अनुसार करीब 50% से अधिक बुवाई हो चुकी है।
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अब तक कुल कितने हेक्टेयर खरीफ फसलों की बुवाई हुई?
कृषि विभाग ने बताया कि इस बार 9 लाख 2 हजार से ज्यादा खरीफ फसलों की बुवाई का लक्ष्य रखा गया है और लगभग अब तक 7 लाख 27 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ की फसल की बुवाई हो चुकी हैं। यवतमाल जिले में सोयाबीन की बुवाई 2 लाख 23,000 हेक्टेयर, ज्वार 3 हजार हेक्टेयर, हरा चना 1 हजार 575 हेक्टेयर, मक्का 103 हेक्टेयर, तिल 54 हेक्टेयर, बाजरा 5 हेक्टेयर, उड़द 1 हजार 598 हेक्टेयर, गन्ना 1 हजार 597 हेक्टेयर और कपास 4 लाख 18 हजार हेक्टेयर में की गई हैं।
अभी कुछ जिलों के किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं
कृषि विभाग (Agriculture Department) के अधिकारी ने बताया कि इस बार मानसून देरी से शुरू हो हुआ है। जिससे खरीफ फसलों की बुवाई काफी प्रभावित हुई हैं और अब बारिश ने अपना मौसम पकड़ लिया है। बारिश लगभग धीरे-धीरे कई राज्यों में शुरू हो चुकी है। राज्य के कुछ ऐसे जिले बाकी हैं। जहां पर अभी भी बारिश का किसान भाई इंतजार कर रहे हैं और अभी वहां पर किसान भाइयों को यह भी डर लग रहा है कि बारिश नहीं हुई तो इस बार खरीफ फसल की बुवाई नहीं हो पाएगी क्योंकि खरीफ सीजन पूरा मानसून पर ही निर्भर होता हैं और इसमें धान प्रमुख फसल होती हैं।
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यवतमाल जिले में इन खरीफ फसलों की अधिक बुवाई
सरकार अपना आंकड़ा चाहे जो भी बताएं, लेकिन किसान भाई उसी फसल की बुवाई करते हैं जिसमें उन्हें लगता है की अधिक फायदा हैं। इस बार विभाग की ओर से 9 लाख 2 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसल की बुवाई का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन अभी तक 7 लाख 27,000 हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई की जा चुकी है। लेकिन इस साल यवतमाल जिले में किसान भाई सोयाबीन और कपास की बुवाई पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं क्योंकि कपास का दाम बाजार में न्यूनतम मूल्य से दोगुना और सोयाबीन का रेट 80% से अधिक हैं। इसी वजह से किसान भाइयों ने बाकी फसलों के मुकाबले इन फसलो पर ज्यादा ध्यान दिया है। इस बार मक्कर, सोयाबीन, कपास और गन्ने जैसी फसलों मे बढ़ोतरी देखने को मिल रही हैं। अगर इस बार मौसम किसान भाइयों का साथ देता है तो किसान भाई इस खरीफ सीजन में फसल मे बंपर पैदावार करेंगे।
इस खरीफ सीजन में समय से पहले बुवाई होने की उम्मीद
मानसून लेट आने के कारण किसान भाइयों को काफी परेशान का सामना करना पड़ा। लेकिन बारिश के कारण भी काम काफ़ी तेजी से हुआ। तो वहीं कुछ जगहों पर बारिश ना होने के कारण किसान भाई अभी भी बुवाई नहीं कर पाएं। पिछले सप्ताह हुई बारिश के चलते काफी किसानों ने बुवाई लगभग कर दी है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी हैं कि ऐसे किसान जिन्होंने अभी तक बुवाई नहीं की है उन किसानों के लिए बुआई हेतु यह समय सही हैं
तो आज हमनें बात की, इस खरीफ सीजन में बारिश के कारण खरीफ फसलों सोयाबीन और कपास सहित अन्य खरीफ फसलों की बुवाई में तेज़ी आई हैं। जिससे लगता हैं, इस वर्ष बंपर उत्पादन भी देखने को मिलें। आप सभी किसान भाइयों को ये लेख अच्छा लगा हों। तो इस लेख को शेयर ज़रूर करें और नीचे कमेंट बॉक्स में अपने विचार साझा ज़रूर करें, धन्यवाद।
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