आप सभी को मेरा नमस्कार, मैं करन और आज हम बात करेंगे दिसंबर में उगाई जाने वाली (Vegetables Grown in December) तीन सब्जियों (मेथी, चकुंदर और सेम) की और पूरे विस्तार से जानेंगे इन तीनों सब्जियों के बारे में जैसे की बुआई, सिंचाई, तुड़ाई कब और कैसे करे और खेत को कैसे तैयार करे और साथ ही खाद्य व उर्वरक के बारे में जानेंगे। तो आइए शुरु करते हैं। अगर आपको ये पोस्ट पसंद आए तो आप इस पोस्ट को शेयर जरूर करे और नीचे कमेंट बॉक्स में अपना कमेंट जरूर लिखें।
सेम (Beans)
सेम में भी कई किस्में होती है। जैसे कि अगेती किस्में और मध्यमी, पिछेती किस्में। बात करे तापमान व जलवायु की तो जिस स्थान पर पाला अधिक पड़ता है उस स्थान पर सेम की खेती सही नहीं होती। लेकिन सेम की खेती सभी ठंडी जलवायु वाली जगह पर सही तरीके से की जा सकती है खेती के लिए सही भूमि का ही चयन करें। (Vegetables Grown in December)
भूमि उचित जल निकासी वाली हो। भूमि अम्लीय तरह की व क्षारीय तरह की ना हो। पी एच मान जमीन का लगभग 5.3-6.0 तक हो। दो मट मिट्टी के अलावा रेतीली व चिकनी मिट्टी पर भी इसकी खेती होती है। सेम की खेती में बुआई फरवरी-मार्च तथा जून-जुलाई में की जाती है।
सेम की बुआई कैसे करें
प्रति हेक्टेयर 5-7 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। करीबन 1.5 मीटर खेत में चौड़ी क्यारियां बना लीजिए। क्यारियों के बीच की दूरी करीबन 1.5 से लेकर 2.0 फीट होनी चाहिए। करीबन 1 सप्ताह में बीज सही से अंकुरित हो जाते हैं। जैसे ही पौधे की बढ़वार करीबन 15-20 सेंटीमीटर हो जाए तो एक जगह पर एक स्वस्थ्य पौधे को छोड़कर बाकियों को उखाड़ दिजिए। बल्लियों का सहारा लेकर भी इसका अच्छा विकास किया जा सकता है।
सेम की सिंचाई कब करें
दोमट मिट्टी में हमें सिंचाई की कम जरूरत पड़ती है वही जितनी बलुई मिट्टी एवं चिकनी मिट्टी में हमें सच्चाई की अधिक जरूरत पड़ती है। फरवरी-मार्च में बोई गई फसल को सप्ताह में एक बार सिंचाई जरूर करें। तथा जून-जुलाई वाली फसल में यदि अधिक दिनों तक बारिश ना आए तो ही उसकी सिंचाई करें। (Vegetables Grown in December)
खाद्य व उर्वरक का सही उपयोग
यदि किसी कारण मृदा परीक्षण ना हुआ हो तो बुआई से पहले खेती की तैयारी करते समय 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद या कंपोस्ट मिला दे। इसके बाद पोटाश फास्फोरस नाइट्रोजन अंतिम जुताई के समय मिला दे। फसल को खरपतवार रोग तथा कीट से बचाए रखें।
सेम की तुड़ाई कब करें
जब सेम की फलियां पूरी तरह से कोमल व विकसित हो जाए तो उसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए। क्योंकि अधिक देरी करने से फलियां कठोर हो जाएगी और रेशे लग जाएंगे। इसलिए समय पर सेम की तुड़ाई कर लेनी चाहिए। (Vegetables Grown in December)
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मेथी (Fenugreek)
यदि आप मेथी की अच्छी खासी बढ़वार व उपज चाहते हो तो आपको ठंडी जलवायु की आवश्यकता पड़ेगी। मेथी की फसल के लिए सभी प्रकार के मिट्टी सही होती है लेकिन बलुई, दोमट मिट्टी में मेथी की पैदावार काफी अच्छी देखने को मिलती है। मेथी में भी कई तरह की किस्में होती है। जैसे सुवर्णा, एए फजी, सोनाली आदि। खेत तैयार करने के बाद मिट्टी पलटने वाले हल से पहली जुताई करें उसके बाद पाटा लगाके मिट्टी को बारीक कर लेना चाहिए। बोआई करते समय ध्यान दे कि खेत में नमी हो। (Vegetables Grown in December)
मेथी की बुआई कब और कैसे करें
अक्टूबर-नवंबर महीने में इसे उत्तरी मैदानों में बोया जाता है वही बात करें पहाड़ी क्षेत्रों की तो पहाड़ी क्षेत्रों में लगभग मार्च-मई महीने में इसकी खेती की जाती है। कुछ राज्यों में इसे रबी व खरीफ दोनों मौसम में उगाया जाता है।
मेथी की खेती करने के लिए प्रति हेक्टेयर 20-25 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है। मेथी की बुवाई करते समय ध्यान दे इसे छिटकवां विधी के माध्यम से समतल तैयारियों में बिखेर कर हाथों के द्वारा मिट्टी में मिलाना चाहिए। बोआई हमेशा 20-25 सेंटीमीटर के दूरी देखते हुए कतारों में करें। पौधे से पौधे के बीच 4-5 सेंटीमीटर दूरी रखे।
मेथी की सिंचाई कब करें
सर्दियों में दो सिंचाइयों के बीच करीबन 15-20 दिनों का अंतर रखें तथा गर्मियों में 10-15 दिनों का अंतर होना चाहिए। एक बात ध्यान रखें पहली सिंचाई 4-6 पत्तियां आने पर ही करें हर तरह के लोग, खरपतवार से इसे बचाए रखे। (Vegetables Grown in December)
खाद्य व उर्वरक प्रयोग
मेथी की खेती करने के लिए एक हेक्टेयर में करीबन 10-15 टन गोबर की खाद या कंपोस्ट का प्रयोग कर सकते हो। बात करे सामान्य उर्वरता जमीन के लिए 20 किलोग्राम पोटाश, 20-25 किलोग्राम फास्फोरस की पूरी मात्रा बुआई से पहले डाल दे।
मेथी की कटाई कब और कैसे करें
बुआई के लगभग 30 दिन बाद पहली कटाई करें। उसके बाद करीबन 15 दिनों के अंतराल पर कटाई करते रहे। पौधे के ऊपर जब पत्तियां पीली हो जाए तो बीज के लिए कटाई शुरु कर दे। फल पूरी तरह जब सूख जाए तो बीज निकालकर सुखा लें व साफ कर लें। इसके बाद आप उसका भंडारण कर सकते हो।
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चुकंदर (Sugar Beets)
चुकंदर की खेती ठंडे मौसम यानि की सर्दियों में की जाती है बात करें तापमान की तो करीबन 10-20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए अधिक तापमान के कारण चुकंदर की जड़ों में चीनी की मात्रा अधिक होने लगती है। (Vegetables Grown in December)
चकुंदर के लिए उपयुक्त मृदा कैसे चुनें
चुकंदर की खेती लगभग हर तरह की मृदा में की जा सकती है। लेकिन सही तरीके से जल निकास वाली दोमट या बलुई मिट्टी में इसकी खेती काफी अच्छी देखने को मिलती है। अब बात करें पी एच मान की तो करीबन 6-7 पी एच मान इसके लिए सही माना जाता है। (Vegetables Grown in December)
चकुंदर का खेत कैसे तैयार करें
यदि आप के खेत में भूमि रेतीली है तो आप खेत की 2-3 बार जुताई जरूर करिए लेकिन अगर आपके खेत में मिट्टी चिकनी है तो आप खेत की पहली जुताई मिट्टी को पलटने वाले हल से करें। उसके बाद 3-4 जुताई कर के पाटे को चलाएं। जिससे कि मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी खेत में क्यारियां बना लीजिए या फिर बेंड तैयार कर लीजिए।
सबसे पहले बात करें अंकुर किस्मों की तो अंकुर किस्मों में करीबन 5-6 किलो ग्राम प्रति एकड़ बीज तथा बहू अंकूर किस्मों में 4-5 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होती है। लाइन से लाइन के बीच 30 सेंटीमीटर की दूरी हो तथा पौधे से पौधे के बैठ 10-12 सेंटीमीटर के दूरी रहनी चाहिए।
चकुंदर की बुआई कैसे करें
बुआई करने से पहले बीज को करीबन 8-10 घंटे पानी में भिगो ले उसके बाद बीज कुछ समय तक छाया में सुखा लीजिए। सुखाने के बाद आप बुआई कर सकते हो। पहली जो दो सिंचाई है उसे 15-20 दिन के अंतर पर करें। उसके बाद हर बार 20-25 दिन के अंतर पर सिंचाई करते रहे। चुकंदर को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती ध्यान रखें अधिक पानी खेत में ना लगने दे।
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खाद्य व उर्वरक का सही प्रयोग
करीबन 10-12 क्विंटल प्रति एकड़ में गोबर की खाद डाले। यूरिया करीबन 50 किलोग्राम, पोटोश 40 किलोग्राम तथा डी ए पी 70 किलोग्राम प्रति एकड़ में डाले। नाइट्रोजन, पोटाश, डी ए पी की पूरी मात्रा डाल दे और बची हुई यूरिया को बुआई के कुछ समय बाद 20-25 दिन व 40-45 दिन के बाद मे करीबन 2 बार इसका छिड़काव करें। खरपतवार से फसलों को बचाए रखे। (Vegetables Grown in December)
फसल को कैसे खोदे यह फसल करीबन 3-4 महीने में तैयार हो जाती है। खुदाई करने से करीब 15 दिन पहले सिंचाई को रोक दे। खुदाई करने के लिए फावड़े का प्रयोग करें। खुदाई से पहले थोड़ी बहुत सिंचाई कर ले जिससे कि खुदाई करने में आसानी हो जाए। उसके बाद आप फसल की ग्रेडिंग करके उसे बेच सकते हो।
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